धीमे सी मेरी सांसे ढल जाये
नयी किसी बंधन कि डोरी से
चलती हुयी बातें थम जाये
तेरे बाँहों कि लोरी से
सुनती राहु में बस तुझको ही
सुनती राहु में तुझमे मुझको ही
जिस द्वार से तेरी धूलि चढ़े
उन पैरो कि उंगलिया थाम चलु
बस बचपन सा बन जाये तन भी
मन को भी बहलाते चालू
सुनती राहु में बस तुझको ही
सुनती राहु में तुझमे मुझको ही
सुनती राहु तुझे तेरे ही झूटे वादो से
उन वादो को भी सच्चा कहु
तू बोले तो उड़ चालू
बस चले राहु
आँखे मूंदे बाद युही
तेरी रहो में
सुनती राहु में बस तुझको ही
सुनती राहु में तुझमे मुझको ही
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